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'सबकी पसंद' की लड़कियों की पेशकश करने वाली फर्जी भारतीय वेबसाइट से सनसनी

by Roli Srivastava | @Rolionaroll | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 4 April 2018 11:21 GMT

A girl stands inside her under construction shanty at a slum in Mumbai, India, August 3, 2016. REUTERS/Danish Siddiqui

Image Caption and Rights Information

रोली श्रीवास्तव

मुंबई, 4 अप्रैल (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - "सबकी पसंद और जेब" के मुताबिक लड़कियों  की पेशकश करने वाली एक फर्जी वेबसाइट के शुरू होने के पहले ही दिन इसके 1,000 से अधिक ग्राहक बन गये, जिससे भारत में यौन तस्करी से निपटने की चुनौती का पता चलता है।

रूढ़िवादी भारत में अविवाहित युगलों के लिये बिना किसी परेशानी के होटल बुक करने में मददगार वेबसाइट- स्‍टेअंकल ने ग्राहकों के होटल के साथ यौन कर्मी उपलब्‍ध कराने के आग्रह से तंग होकर एक फर्जी वेबसाइट- स्‍टेलैड.कॉम शुरू की थी।  

स्टेअंकल के संस्थापक संचित सेठी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हमें हर महीने लगभग 3,000 लोगों के फोन आते हैं, जो कमरे के साथ ही एक साथी के लिए पूछते हैं।

"हम लोगों को बताना चाहते थे कि तस्करी की समस्या असल में कितनी बड़ी है और पीड़ितों पर इसका क्‍या असर पड़ता है। इसके लिये फर्जी वेबसाइट तैयार करने से बेहतर कोई और तरीका नहीं था, क्‍योंकि केवल तकनीक के माध्यम से आप जनता तक पहुंच सकते हैं।"

एयरबीएनबी जैसी होटल और घर किराये पर उपलब्‍ध कराने वाली एजेंसियों ने तस्करी से निपटने के उपाय शुरू किये हैं, क्योंकि कमजोर और असुरक्षित महिलाओं तथा लड़कियों के उत्‍पीड़न के लिये उनकी संपत्तियों के इस्तेमाल किये जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2016 में देश में 8,000 से अधिक मानव तस्करी के मामले दर्ज किये गये थे, जो 2015 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक थे।

वेबसाइट पर शारीरिक सुंदरता के विवरण के साथ लगभग बारह लड़कियों की सूची उपलब्‍ध करवाई गई। उसमें कहा गया कि उनमें से कुछ लड़कियां स्वेच्छा से इसमें शामिल हुई हैं, जबकि असम और पश्चिम बंगाल जैसे दूरदराज के क्षेत्रों से विश्‍वसनीय दलालों से खरीदी गई अन्य लड़कियों को सुनहरे सपने दिखाकर यहां सूचीबद्ध किया गया था।"

वेबसाइट पर दावा किया गया कि "यह कार्य इतना आसान कभी नहीं हो सकता।"

इसके बाद ग्राहकों को ईमेल प्राप्त हुए, जिसमें यह समझाया गया कि भारत में हजारों महिलाओं को यौन दासता के लिए मजबूर किया जाता है। इसमें उनके हालात सुधारने के लिये अधिक जागरूकता फैलाने की अपील भी  की गयी थी।

तस्‍कर ग्रामीण इलाकों के अनेक गरीब पीडि़तों को अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं, लेकिन उन्‍हें वेश्यालयों में बेच दिया जाता है, उनसे खेतों या ईंट भट्ठों पर जबरन काम करवाया  जाता है या घरेलू नौकरो के तौर पर घरों में गुलाम बनाया जाता है।

स्‍टेलैड.कॉम की "प्रत्‍येक की पसंद, मांग और जेब के अनुकूल" लड़कियों की पेशकश से  सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया हुई और मंगलवार रात तक ट्वीटर पर #स्‍टॉपवीमनट्रैफिंकिंग पर प्रतिक्रियाएं मिलती रहीं।

29 वर्षीय सेठी ने कहा, "आश्चर्य की बात है कि लोगों ने ट्विटर पर इसके बारे में बात करना शुरू कर दिया, जबकि तथ्य यह है कि लोग इस साइट का इस्तेमाल करना चाहते थे।"

2015 में शुरू की गई वेबसाइट स्‍टेअंकल "निजता के लिये तरसते प्रेमियों" को देश भर के लगभग 900 साझेदार होटल में रहने की व्‍यवस्‍था कराने में मदद करता है,  जहां विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाना अनैतिक समझा जाता है।

तस्‍करी रोधी धर्मार्थ संस्‍था- इंपल्स एनजीओ नेटवर्क की संस्‍थापक हसीना खर्बीह ने स्‍टेअंकल से स्थापित कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कार्य करने का आग्रह किया है।

उन्‍होंने कहा, "उनका विचार अच्छा हो सकता है, लेकिन कल रात तस्‍करी रोधी क्षेत्र में कार्य करने वालों के बीच काफी उलझन थी कि क्या यह साइट वास्‍तव मे है।"

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- कैटी मिगिरो; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

 

 

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