कोलकाता, 8 जून (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - पुलिस ने मानव अंग तस्करी के जाल के संदिग्ध सरगना पर गरीब लोगों को लालच देकर दिल्ली के एक प्रमुख अस्पताल में लाकर उनके गुर्दे निकलवाने और उन्हें बेचने का आरोप लगाया है। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
टी.राजकुमार राव को पुलिस ने मंगलवार को देर रात कोलकाता के बाहरी इलाके में एक घर से गिरफ्तार किया, जहां वह अपनी पत्नी और नवजात बालक के साथ रह रहा था।
नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "उसे कल शाम को गिरफ्तार किया गया था और आगे की पूछताछ तथा पुलिस द्वारा मुकदमा चलाने के लिए उसे दिल्ली ले जाया जायेगा।"
अधिकारी ने कहा कि राव पर बिना अधिकार के मानव अंगों को हटाने, अंगों का व्यापार करने, धोखाधड़ी और बेईमानी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने सहित विभिन्न अपराधों के आरोप लगाये गये हैं।
पुलिस ने गुरुवार को एक डॉक्टर के दो सहायकों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल मे चल रहे मानव अंग के अवैध कारोबार के रैकेट का भंडाफोड़ किया था।
पुलिस ने बताया कि पिछले छह दिनों में जांच के दौरान राव और उसके अन्य साथियों की पहचान भारत और पड़ोसी देशों में सक्रिय आपराधिक गिरोह के संदिग्ध सदस्यों के रूप में की गई है।
इस मामले में अब तक कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस का कहना है कि तस्करों पर गरीब लोगों को तीन लाख रुपये में अपने गुर्दे बेचने का लालच देने और फिर भारी लाभ पर इन अंगों की काला बाजारी करने का आरोप है।
अस्पताल के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिये पहचान के जाली कागजातों के जरिये पीड़ितों को प्राप्तकर्ताओं के रिश्तेदार बताया गया था।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल प्रशासन ने स्वीकार किया है कि अस्पताल में अनजाने में पीड़ितों के शरीर से अंगों को निकाला गया और जांच में पुलिस के साथ सहयोग किया जा रहा है।
प्रत्यारोपण के लिये अंगों की भारी कमी के कारण भारत में मानव अंगों की काला बाजारी तेजी से बढ़ रही है।
भारत में अंगों का व्यापार गैर कानूनी है और प्रत्यारोपण के लिये अंगदान के वास्ते प्रत्येक अस्पताल में मौजूद विशेष प्रत्यारोपण समिति से मंजूरी लेना आवश्यक है।
जाली कागजात पहचानने में अपोलो अस्पताल की प्रत्यारोपण समिति की विफलता और अस्पताल के कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना पर भी प्रश्न उठ रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया गया था।
अस्पताल प्रशासन ने मंगलवार को बताया था कि उन्होंने अपनी मौजूदा जांच प्रक्रिया में खामियों के बारे में जानने के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया है। इस समिति के सदस्यों में एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश और एक फोरेंसिक विशेषज्ञ शामिल हैं।
(रिपोर्टिंग- सुजॉय धर, लेखन- नीता भल्ला, संपादन- केटी नुएन; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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