नई दिल्ली, 30 जनवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - सोमवार को कार्यकर्ताओं ने वेश्यावृत्ति और वैश्विक देह व्यापार समाप्त करने का आह्वान करते हुये कहा कि यौन शोषण की सबसे ज्यादातर पीड़ित महिलाएं दुनिया के सबसे वंचित समुदायों की हैं, फिर चाहे वह स्वदेशी कनाडाई हो या फिर भारत की जनजाति की महिलाएं।
अमेरिका के गरीब जिले हों या दक्षिण अफ्रीका की बस्तियां विभिन्न देशों के इन समुदायों में यौन गुलामी व्यापक रूप से फैली हुई है, क्योंकि अभाव के कारण यह महिलाएं और लड़कियां आसानी से शोषण का शिकार हो जाती हैं।
यौन कर्मी से कार्यकर्ता बनी रेचल मोरेन ने यौन गुलामी पर एक सम्मेलन में कहा, "पुरुष की मांग की वजह से पृथ्वी पर हर जगह वेश्यावृत्ति मौजूद है और इन गंभीर परिस्थितियों के कारण ही वेश्यावृत्ति में महिला की ऐसी दयनीय स्थिति है।
धर्मार्थ संस्था- स्पेस इंटरनेशनल की मोरेन ने कहा, "हमेशा आप पायेंगे कि वेश्यावृत्ति में ढ़केले जाने वाले लोग सबसे गरीब और सबसे वंचित समुदायों के होते हैं।"
आयरलैंड के एक वंचित समुदाय की मोरेन को 15 साल की उम्र में जबरन वेश्यावृत्ति में ढ़केला गया था और वह सात साल तक यौन गुलाम के तौर पर काम करने के लिये मजबूर थीं।
हालांकि दुनिया के ज्यादातर देशों में यौन कर्म अवैध है, लेकिन इसके बावजूद यह हर जगह मौजूद है। फ्रांस की धर्मार्थ संस्था- सैल्ल फाउंडेशन की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर लगभग चार करोड़ यौनकर्मी हैं।
वेश्यावृत्ति समाप्त करने की वकालत करने वालों का कहना है कि इनमें से ज्यादातर मानव तस्करी के शिकार होते हैं और उनकी कमजोर सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण दलाल और तस्कर उन्हें लालच या झांसा देकर यौन गुलामी के लिए मजबूर करते हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि वेश्यालयों, सड़क के कोनों, मसाज पार्लर, स्ट्रिप क्लब या निजी घरों में कहीं भी एक बार यौन गुलामी के दल दल में फंसने के बाद उनके चंगुल से निकलना बहुत मुश्किल होता है।
इनमें से कई उनके दलाल द्वारा किये जाने वाले शारीरिक उत्पीड़न के खतरे के कारण वेश्यावृत्ति में बने रहते हैं, लेकिन कुछ अपने परिजनों और दोस्तों द्वारा बहिष्कृत तथा असहाय होने के कारण स्वयं इसके साथ समझौता कर लेते हैं।
भारत, फ्रांस, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में काम कर रहे धर्मार्थ संस्थाओं के वेश्यावृत्ति उन्मूलन गठबंधन (सीएपी) की अध्यक्ष सारा बेन्सन ने कहा, "हम अलग अलग देशों में कार्य कर रहे हैं और सब जगह बहुत ही स्पष्ट और एक समान पृष्ठभूमि देखने को मिलती है।"
"इनमें देह व्यापार में लिप्त लोगों की पृष्ठभूमि, परिस्थितियां, जिसकी वजह से वे दलालों और तस्करों के चंगुल में फंसते हैं, पितृसत्ता, नस्लवाद, लिंग भेद शामिल हैं, जिनके कारण वैश्विक देह व्यापार फल फूल रहा है।"
सीएपी इंटरनेशनल और भारतीय धर्मार्थ संस्था- अपने आप द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में विश्व से वेश्यावृत्ति समाप्त करने के अपने अनुभव और रणनीतियां साझा करने के लिये 30 देशों के 250 सीविल सोसायटी समूह शामिल हुये।
अपने आप की संस्थापक रुचिरा गुप्ता ने कहा, इस सम्मेलन का शीर्षक "अंतिम लड़की प्रथम" रखा गया है, क्योंकि वेश्यावृत्ति की पीडि़ताएं सबसे वंचित और उपेक्षित लड़कियां होती हैं।
गुप्ता ने कहा, "पीडि़त हमेशा सबसे कमजोर व्यक्ति होता है और इसका कारण है कि वह गरीब है, वह महिला है, वह निम्न जाति से है या वह किशोरी है।"
"हम चाहते हैं कि सरकारें इसे स्वीकार करें और उनके उत्थान तथा उनके अधिकारों का समर्थन करें। हमें "अंतिम लड़की को प्रथम" स्थान पर रखना होगा और इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।"
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन-रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिला अधिकारों, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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