- नीता भल्ला
नई दिल्ली, 31 जनवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - भारत के यौन कर्मियों ने वेश्यावृत्ति उन्मूलन पर वैश्विक सम्मेलन की आलोचना की है। उनका कहना है कि देह व्यापार समाप्त करने की हिमायत करने वाले यह पहचानने में असफल रहे हैं कि कुछ महिलाएं अपनी पसंद से इस पेशे में हैं, उनसे कोई जबरदस्ती नहीं की गई है, उनपर किसी प्रकार का दबाव नहीं है और न ही उनकी तस्करी की गई है।
दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, भारत और अमेरिका के पूर्व यौन कर्मियों सहित दिल्ली सम्मेलन में आये प्रतिभागियों ने यौन गुलामी की दास्तां साझा करते हुये ग्राहकों, दलालों और तस्करों को सजा देकर वेश्यावृत्ति समाप्त करने का आह्वान किया है।
लेकिन भारत के यौनकर्मियों के समूहों ने कहा कि स्वैच्छिक यौन कार्य और यौन शोषण में अंतर है। उन्होंने कहा कि इस व्यापार में सभी महिलाएं पीडि़त या तस्करी की गई यौन गुलाम नहीं हैं।
महाराष्ट्र के यौन कर्मियों के एक समूह- वेश्या अन्याय मुक्ति परिषद की यौन कर्मी किरण देशमुख ने कहा, "हम ऐसे हर व्यक्ति के खिलाफ हैं, जो हमें स्वयं के निर्णय लेने में सक्षम नहीं मानते हैं।"
"हमें किसी भी एजेंसी का पीड़ित बताना हमारे यौन कार्य करने के मानवाधिकार का उल्लंघन है। हमें 'समाप्त' कर वे हमारी मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे हमारी काम की जरूरतों और इज्जत से आजीविका कमाने की अनदेखी कर रहे हैं।"
दुनिया भर में ज्यादातर देशों में यौन कर्म अवैध है, फिर भी यह हर जगह मौजूद है। फ्रांस की धर्मार्थ संस्था- सैल्ल फाउंडेशन के अनुसार विश्व स्तर पर लगभग चार करोड़ यौनकर्मी हैं।
वेश्यावृत्ति समाप्त करने की वकालत करने वालों का कहना है कि इनमें से ज्यादातर को गरीबी, रोजगार के अवसरों की कमी और समाज में वंचित स्थिति के कारण दलाल और तस्कर उन्हें लालच या झांसा देकर यौन गुलामी के लिए मजबूर करते हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि वेश्यालयों, सड़क के कोनों, मसाज पार्लर, स्ट्रिप क्लब या निजी घरों में कहीं भी एक बार यौन गुलामी के दलदल में फंसने के बाद उनके चंगुल से निकलना बहुत मुश्किल होता है।
इनमें से कई उनके दलाल द्वारा किये जाने वाले शारीरिक उत्पीड़न के खतरे के कारण वेश्यावृत्ति में बने रहते हैं, लेकिन कुछ अपने परिजनों और दोस्तों द्वारा बहिष्कृत तथा असहाय होने के कारण स्वयं इसके साथ समझौता कर लेते हैं।
"हम कोई भोग की वस्तु नहीं हैं"
भारत के राष्ट्रीय यौन कर्मी नेटवर्क के समूहों ने कहा कि नैतिकता के नाम पर उन्मूलन आलोचनात्मक है। उनका कहना है कि व्यापार को वैध बनाने से यह उद्योग विनियमित होगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि महिलाओं तथा लड़कियों का शोषण ना हो।
2,000 से अधिक यौन कर्मियों, यौन कर्मियों के बच्चे और उनके अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 समूहों द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक बयान में कहा गया कि, "हिंसा पर आलोचनात्मक रवैये से यौन कर्मियों के अनकहे दुख और बढ़े हैं तथा इससे असामाजिक तत्वों को यौन कर्मियों के साथ हुई हिंसा को उचित करार देने का बढ़ावा मिला है।"
हालांकि, सम्मेलन में अधिकतर वक्ताओं ने कहा कि ज्यादातर यौन कर्मियों का शोषण किया जा रहा है।
आयरलैंड की पूर्व यौन कर्मी और धर्मार्थ संस्था- स्पेस इंटरनेशनल की संस्थापक रेचल मोरेन ने कहा, "अगर कुछ महिलाएं यह काम अपनी मर्जी से कर भी रही हैं तो इससे क्या फर्क पड़ता है?"
उन्होंने कहा, "इस धरती पर चार करोड़ महिलाएं और लड़कियां वेश्यावृत्ति में लिप्त हैं और उनमें से कुछेक कहते हैं कि उन्होंने पूरी तरह से अपनी स्वेच्छा से इस पेशे को चुना है तो उस आधार पर विशाल बहुमत के अनुभवों को नकारा नहीं जा सकता है।"
सम्मेलन में शामिल हॉलीवुड अभिनेत्री एश्ले जुड ने वेश्यावृत्ति समाप्त करने की मजबूत दलील देते हुये कहा कि महिलाओं और लड़कियों को वस्तुओं की तरह खरीदा और बेचा जा रहा है और वैश्विक देह व्यापार को समाप्त करने की कार्रवाई जरूर की जानी चाहिये।
जुड ने कहा, "हमें इस बोझ और शर्म के लिये जिम्मेवार अपराधी, हमलावर और वह व्यक्ति जो सोचता है कि महिलाओं और लड़कियों के देह को खरीदा जा सकता है पर अंकुश लगाना होगा।"
"हम कोई भोग की वस्तु नहीं हैं, हम मनुष्य हैं और हमें भी अपनी देह, यौन गरिमा और किसी भी प्रकार की ज्यादती से मुक्त रहने का अधिकार है।"
मंगलवार को समाप्त हुये महिलाओं और लड़कियों के यौन शोषण उन्मूलन पर तीन दिवसीय विश्व सम्मेलन में 30 देशों के 250 धर्मार्थ संस्थाएं और कार्यकर्ता के साथ ही शिक्षाविद, ट्रेड यूनियन और वकील भी शामिल हुये।
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- केटी नुएन; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिला अधिकारों, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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