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कतर का प्रवासियों के देश छोड़ने से रोक पर श्रम कानून के उल्लंघन से इनकार

Thursday, 30 March 2017 17:01 GMT

Visitors and engineers stand at the construction site of Al-Bayt stadium in Al-Khor, north of Doha, Qatar February 22, 2017. Picture taken February 22, 2017. REUTERS/Ibraheem Al Omari

Image Caption and Rights Information

-    रेजीमन कुट्टप्पन

    मस्‍कट, 30 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - कतर ने गुरुवार को प्रवासियों को देश छोड़ने से रोक कर नए श्रम कानून का उल्लंघन करने का खंडन करते हुये कहा कि कतर सरकार लाखों विदेशी श्रमिकों के अधिकारों में सुधार के वास्‍ते नये श्रम कानून लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

      दिसम्‍बर से प्रभावी नये कानून में तेल-समृद्ध इस खाड़ी देश में प्रवासी श्रमिकों के लिये नौकरी बदलने और देश छोड़ने की प्रक्रिया को आसान किया गया है। इनमें से कई मजदूरों को 2022 फीफा विश्व कप से पहले फुटबॉल स्टेडियमों के निर्माण के लिए काम पर रखा गया है।

    लेकिन अधिकार समूहों का कहना है कि नये कानून का पालन नहीं किया जा रहा है और भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल जैसे देशों के कई प्रवासी श्रमिकों को देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी गयी है।

    कतर सरकार ने एक बयान में कहा है कि वह सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है या उसने विदेशी श्रमिकों के बाहर आने जाने पर पाबंदी लगाई है जैसी धारणा "गलत" है।

      कतर की 25 लाख की आबादी में से लगभग 90 प्रतिशत प्रवासी हैं। कई प्रवासी काफी कम वेतन पर 2022 के फीफा विश्व कप के लिए स्टेडियमों और बुनियादी ढांचे के लिये निर्माण कार्य कर रहे हैं।

  लेकिन हाल के वर्षों में कतर की प्रायोजित प्रणाली "कफाला" जांच के दायरे में आई है, क्‍योंकि आरोप है कि इस प्रणाली के जरिये श्रमिकों से जबरन मजदूरी करवाई जाती है। "कफाला" के त‍हत प्रवासी श्रमिक अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी नहीं बदल सकते हैं या देश नहीं छोड़ सकते हैं।

       कतर सरकार ने 13 दिसंबर को नया कानून पारित किया, जिसके तहत प्रवासियों द्वारा नियोक्ताओं से निकासी परमिट लेने की अनिवार्यता को समाप्‍त करने और श्रमिकों के पासपोर्ट जब्त करने तथा उनका वेतन रोकने वाले नियोक्ताओं पर जुर्माना लगाने के प्रावधान हैं।

     लेकिन मजदूर संघों का कहना है कि प्रवासी श्रमिकों के लिये अभी भी सरकार से निकासी परमिट लेना आवश्‍यक है और नया कानून पारित होने के बावजूद 200 से ज्यादा प्रवासियों को कतर छोड़ने से रोका गया है।

    कतर सरकार ने पुष्टि की है कि निकासी परमिट के लिये 184,551 आवेदनों में से 213 को अनुमति नहीं दी गई है, क्‍योंकि उन व्यक्तियों पर आपराधिक आरोप हैं।

      सरकारी बयान में कहा गया कि "हमने स्पष्ट रूप से बताया है कि अगर निर्वासित व्‍यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी या आपराधिक मुकदमे से बचने की कोशिश के पुख्‍ता सबूत हैं तो उन्‍हें कतर छोड़ने से रोका जायेगा।"

  अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने कतर से कहा है कि वह नवंबर तक कानून मे सुधार लागू करे, वरना विश्व कप आयोजित करने के लिए निर्माण स्‍थलों पर प्रवासियों से जबरन मजदूरी करवाने की जांच के लिये तैयार रहे।  

(रिपोर्टिंग- रेजीमन कुट्टप्पन, लेखन- नीता भल्‍ला, संपादन- केटी नुएन; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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