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साक्षात्कार- खाड़ी देशों के लिये महिलाओं की तस्करी नेपाल के अप्रवासन अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है

by Gopal Sharma | @imgsharma | Thomson Reuters Foundation
Friday, 31 March 2017 15:19 GMT

Tourists gather inside Nepal's Tribhuvan International Airport a day after an earthquake, in Kathmandu, Nepal in this 2015 archive photo. REUTERS/Athit Perawongmetha

Image Caption and Rights Information

-    गोपाल शर्मा

    काठमांडू, 31 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - एक संसदीय पैनल के प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि हो सकता है कि तस्‍कर नेपाल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अप्रवासन अधिकारियों से सांठगांठ कर हजारों गरीब, अशिक्षित महिलाओं को अवैध रूप से काम करने के लिए खाड़ी देशों में भेजते हैं, जहां उनका शोषण होता है और उनके साथ अत्‍याचार किया जाता है।

       गरीब हिमालयी देश की लगभग दो करोड़ 90 लाख की आबादी में से करीबन 20 प्रतिशत लोग मध्य पूर्व क्षेत्र, मलेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में प्रवासी श्रमिक हैं और वहां से भेजे धन का नेपाल के सकल घरेलू उत्पाद में एक चौथाई योगदान है।

     नेपाल में खाड़ी देशों की यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए कड़ी जांच प्रक्रियाएं हैं, क्योंकि तस्कर उन्‍हें वहां घरेलू नौकरानी का काम दिलाने का झांसा देते हैं। लेकिन वहां उन्‍हें अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और उनके मालिक उनका शारीरिक और यौन शोषण करते हैं।

    मध्य पूर्व क्षेत्र में नेपाली प्रवासियों पर अत्‍याचार की खबरों की जांच के लिए गठित संसदीय समिति के प्रमुख और नेपाल के सांसद प्रभु शाह ने कहा कि अभी भी कई महिलाओं को बरगलाया जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उनकी तस्‍करी की जा रही है।  

     शाह ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हम जिन महिलाओं से मिले उनमें से आधी महिलाओं ने बताया कि उन्‍हें काठमांडू हवाईअड्डे से पूछताछ किए बिना यात्रा की अनुमति दी गई थी, जबकि बाकि महिलाओं ने भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका से यात्रा की थी।"

      "अप्रवासन अधिकारियों की जानकारी के बगैर इतनी अधिक संख्‍या में महिलाओं का हवाई अड्डे से निकलना संभव नहीं है। सरकार को इसकी जांच करनी चाहिये। हमारी महिलाएं वहां अत्‍यंत दयनीय स्थिति में रह रही हैं।"

      शाह के नेतृत्‍व में एक संसदीय दल की सऊदी अरब, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के बाद उन्‍होंने यह बात कही। इस प्रतिनिधिमंडल ने वहां लगभग 500 नेपाली श्रमिकों मुख्य रूप से महिलाओं के साथ मुलाकात की, जो अपने मालिकों के चंगुल से बच निकलने के बाद वहां फंसे हुए थे।

      उन्होंने कहा कि अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर तस्‍कर महिलाओं को काम करने के वीजा की बजाय यात्रा वीजा पर वहां ले गये थे, लेकिन वहां नौकरानियों के तौर पर काम करने के लिये प्रत्‍येक महिला को लगभग 5000 डॉलर में बेच दिया गया था। उनमें से कई महिलाओं से अत्‍यधिक काम करवाया गया था, उनकी पिटाई की गई थी या उनके साथ दुष्‍कर्म किया गया था। ज्‍यादातर महिलाओं को उनका वेतन भी नहीं दिया गया था।

      उन्होंने कहा कि कई पीड़ित भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका से होकर भी खाड़ी देशों में जा रहे थे, ज‍हां उनकी मामूली जांच होती है।

     अप्रवासन विभाग के अधिकारी गंगा राम जीलाल ने कहा कि काठमांडू हवाईअड्डे के अधिकारियों को मध्य पूर्व देशों में जाने वाली महिलाओं की जांच और इंटरव्यू करने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच-पड़ताल की जायेगी।

       जीलाल ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "सख्‍ती से जांच ना करने के दोषी पाये गये व्‍यक्ति को दंडित किया जाएगा।"

(रिपोर्टिंग- गोपाल शर्मा, संपादन- नीता भल्‍ला और रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

 

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