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भारतीय अदालत ने दिया पुलिस को मिठाई की दुकानों में काम करने के लिये तस्करी किये गये बच्चों को छुड़ाने का आदेश

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Monday, 24 April 2017 13:17 GMT

Vendors carry sugar candies for sale at Marina beach in the southern Indian city of Chennai in this 2013 archive photo. REUTERS/Babu

Image Caption and Rights Information

-  अनुराधा नागराज

    चेन्नई, 24 अप्रैल (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - एक भारतीय अदालत ने सोमवार को पुलिस को देश के पश्चिमी राज्‍यों में मिठाई की दुकानों में काम करने वाले 50 लड़कों को छुड़ाने का आदेश दिया है। माना जाता है कि उनकी तस्करी कर तमिलनाडु से वहां भेजा गया था। इस आदेश से उन लड़कों के परिजनों में अपने लापता बेटों से दोबारा मिलने की उम्‍मीद जगी है।

    एक लापता किशोर के पिता द्वारा दायर एक याचिका पर तमिलनाडु में उच्च न्यायालय ने पुलिस से उन लड़कों को बचाने के लिए एक विशेष टीम बनाने और तीन सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

     याचिकाकर्ता के वकील डेविड सुंदर सिंह ने कहा, "इस आदेश से काफी लोगों की उम्‍मीद बढ़ी है।"

      "हालांकि यह एक पिता और एक लापता लड़के का मामला था, लेकिन अदालत ने असाधारण रूप से ऐसे कई अन्य परिवारों की व्‍यथा को ध्यान में रखा जिनके बेटे अपने घर नहीं लौटे हैं।"

    एम. अरुमुगम ने 2013 से अपने छोटे बेटे को नहीं देखा है। 2013 में एक "भर्ती एजेंट" ने उन्हें 1,000 रुपये दिये तथा 20,000 रुपये और देने का वादा कर उस समय 14 साल के सूर्य प्रकाश को उसके पैतृक गांव कुल्ललकुंडु से ले गया था।

     अरुमुगम की याचिका में कहा गया है कि एजेंट ने लड़कों को मिठाई की दुकानों में आठ घंटे की पारी में काम, उनके रहने का प्रबन्‍ध करने, 5,000 रुपये मासिक वेतन, उचित भोजन देने और घर आने के लिए छुट्टी का वादा किया था।

    अरुमुगम ने अपनी याचिका में कहा, "हमने यह सोच कर उस प्रस्‍ताव को स्वीकार कर लिया था कि यह हमारे बेटे के भविष्य के लिए अच्छा होगा।"

    अभियान चलाने वालों का कहना है कि प्रकाश तमिलनाडु के थेनी, मदुरै और डिंडीगुल जिलों के स्कूल छोड़ने वाले उन कई लड़कों में से था, जिन्हें तस्करी कर देश के पश्चिमी और उत्तरी राज्‍यों में ले जाया गया था। यहां उनसे दुकानों में नमकीन तलवाया और मिठाईयां बनवायी जाती हैं। 

   अरुमुगम ने अपनी याचिका में लड़कों के उत्‍पीड़न की व्‍यथा अपने भतीजे की आप बीती के आधार पर बयान की, जो गर्म तेल से जलने के बाद पश्चिमी शहर नाशिक की मिठाई बनाने के एक कारखाने से बच निकला था।

    याचिका में कहा गया, "समय पर जाग नहीं पाने या बीमारी के कारण आराम करने पर मेरे बेटे और अन्य बच्चों की मालिक और उसकी पत्नी ने कई बार पिटाई की।"

    जब तक अग्रिम राशि का भुगतान न कर दें तब तक लड़कों को किसी से संपर्क करने या अपने घर जाने की मनाही है। प्रकाश के पिता ने कहा कि मालिक ने उसे प्राप्‍त हुई राशि से काफी अधिक पैसा देने का दावा किया है।

    उन्होंने कहा कि "मुरुकू कारखाने" के नाम से प्रसिद्ध कारखानों में उसके बेटे को चार साल तक काम करने के लिए मजबूर किया गया।

     अरुमुगम ने कहा, " मैंने अपने बेटे से आखरी बार जनवरी में बात की थी। उस समय उसने मुझे बताया कि मालिक ने उसे धमकी देते हुये कहा कि अगर उसका चचेरा भाई काम पर वापस नहीं लौटा तो उसे जान से मार दिया जायेगा। उत्‍पीड़न के बाद उसका चचेरा भाई वहां से भाग निकला था।"

     "तब से उसकी कोई खबर नहीं है।"

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

   

 

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