- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 3 जुलाई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – भारत में बच्चों के अपहरण की अफवाहों पर भीड़ द्वारा कम से कम 10 लोगों की पीट-पीट कर हत्या के कारण मानव तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्थाओं को मजबूरन अपनी गतिविधियां रोकनी पड़ी है। उन्हें भय है कि उन्हें भी निशाना बनाया जा सकता है।
फेसबुक और व्हाट्सएप पर फैले बच्चों के अपहरण के फर्जी संदेशों के कारण छह से अधिक राज्यों में लोगों पर हमले किए गए, जिनमें कम से कम 10 व्यक्तियों की मौत हो गई।
महाराष्ट्र में रविवार को दो अलग-अलग घटनाओं में पांच लोग मारे गए और दो व्यक्तियों को बेरहमी से पीटा गया।
पांच धर्मार्थ संस्थाओं ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि हमलों के बाद से उन्हें मजबूरन अपने कार्यक्रम स्थगित करने पड़े। उन्होंने कहा कि उन्हें आशंका है कि तस्कर जनता के इस आक्रोश का फायदा उठा सकते हैं।
तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था द फ्रीडम प्रोजेक्ट के भारत की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अनीता कनिया ने कहा, "इनमें पुराने वीडियो क्लिप, शीर्षक और संदेश हैं, जो आग की तरह फैल रहे हैं।"
"हमें बेंगलुरू में भीख मंगवाने के लिए तस्करी किए गए बच्चों के बारे में किए जा रहे एक सर्वेक्षण को बीच में ही रोकना पड़ा, क्योंकि इसके लिए हमें बच्चों की फोटो खींचनी और उनसे बात करनी पड़ती है और हमारी मंशा पर संदेह किया जा सकता है।"
व्हाट्सएप पर दक्षिण भारतीय प्रौद्योगिकी केंद्र बेंगलुरु में बच्चों की तस्करी करने वाले 400 लोगों के आने की चेतावनी भरे संदेशों के फैलने के बाद मई में तस्कर होने के संदेह में एक 26 वर्षीय व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।
लाभ निरपेक्ष संस्था जस्टिस एंड केयर के वकील- एड्रियन फिलिप्स ने आगाह किया कि तस्कर इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा, "ऐसी घटनाओं से वास्तविक तस्करी रोधी कार्यों पर अति नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जैसे उनके उद्देश्यों पर संदेह किया जायेगा और कहीं भी सही मामलों को भी गंभीरता से नहीं लिया जायेगा।"
भारत में एक अरब से अधिक फोन उपभोक्ताओं की सस्ते मोबाइल डेटा तक पहुंच के चलते फर्जी समाचार संदेश और वीडियो तुरंत वायरल किए जा सकते हैं, जिनसे सामूहिक उन्माद पैदा हो सकता है और सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
जांच अधिकारियों का कहना है कि अफवाहों में अन्य राज्यों से छुट्टियां मनाने आने वाले लोगों से लेकर प्रवासी मजदूरों जैसे बाहरी लोगों पर निशाना साधा गया था, जबकि अक्सर उनका लापता बच्चों के मामलों से कोई संबंध नहीं होता है।
पुलिस अधिकारी हर्ष पोद्दार ने रविवार को महाराष्ट्र में दो लोगों की पीट-पीट कर हत्या की घटना का जिक्र करते हुए कहा, "अफवाहें मुख्यतया किसी के बच्चे के खतरे में होने के बारे में होती हैं।"
"हम चाहते हैं कि लोग अपने बच्चों के प्रति सावधान रहें, लेकिन हम उन लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं जो जनता के बीच आतंक फैला रहे हैं।"
संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और मानवाधिकार समूह वॉक फ्री फाउंडेशन का कहना है कि पिछले साल तक लगभग चार करोड़ लोग आधुनिक गुलामों के रूप में रह रहे थे। वे जबरन मजदूरी के जाल में फंसे थे या उनसे जबरन विवाह किया गया था।
दक्षिण एशिया में तेजी से मानव तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं।
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2015 की तुलना में 2016 में तस्करी की शिकायतें लगभग 20 प्रतिशत बढ़ी है।
पीड़ितों में से आधों की जबरन मजदूरी करवाने के लिए और वेश्यावृत्ति तथा बच्चों के साथ अश्लीलता जैसे यौन शोषण के लिए 33 प्रतिशत लोगों की तस्करी की गयी थी।
(रिपोर्टिंग-अनुराधा नागराज, संपादन- क्लेयर कोज़ेंस; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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