- रोली श्रीवास्तव
मुंबई, 9 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - दीपिका म्हात्रे ने स्टैंड-अप कॉमेडी करने की अपनी प्रतिभा पहचानने से पहले वर्षों तक मुंबई में घरेलू नौकरानी के रूप में भोजन पकाने, बर्तन धोने और बच्चों को नहलाने का काम किया।
मुंबई के कॉमेडी जगत में लोगों का मनोरंजन करने वाली म्हात्रे आज देश के आमतौर पर मौन रहने वाले उन घरेलू कामगारों की आवाज बन गयी है, जिनमें से कईयों के साथ रोजाना भेदभाव होता है।
उसने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हमारे मालिक हमारे काम को तो पसंद करते हैं, लेकिन हमें नहीं।"
"हम उनके घरों को साफ रखते हैं, लेकिन उन्हें लिफ्ट में उनके साथ हमारी मौजूदगी पसंद नहीं आती है। वे कहते हैं कि हमारे शरीर से दुर्गंध आती है। वे चाहते हैं कि हम हमेशा अदृश्य रहें।"
म्हात्रे की कॉमेडी का अप्रत्याशित सफर तब शुरू हुआ जब उसकी अन्य मालकिनों के विपरित एक भली मालकिन ने प्रतिभाशाली घरेलू कामगारों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। अन्य कर्मियों ने नृत्य किया और गाना गाया, लेकिन म्हात्रे ने अपने काम से जुड़े चुटकुले सुनाएं।
म्हात्रे ने कहा कि उसका प्रदर्शन काफी पंसद किया गया और उसकी मालकिन तथा कार्यक्रम में उपस्थित एक संवाददाता उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसकी मुलाकात अपनी एक कॉमेडियन सहेली अदिति मित्तल से करवाई, जिसने मुंबई के कॉमेडी जगत से उसका परिचय करवाने में मदद की ।
म्हात्रे अब कॉमेडी क्लबों में प्रस्तुति देती है और अधिकतर घरों में नौकरानियों के लिए अलग बर्तनों से लेकर उच्चवर्गीय लोगों के भवनों में "नौकरों के लिए अलग लिफ्ट" जैसे भेदभाव के किस्से सुनाकर काफी तालियां बटोरती है।
वह अपने नियमित कार्यक्रमों में से एक में कहती है, "मालिकों का मानना है कि जिन प्लेटों में वे भोजन करते हैं, उन्हीं में नौकरों को नहीं खाना चाहिए। तो जाओ और अपने बरतनों को भी छुपाओ, लेकिन आप मेरे हाथों से बनाया भोजन तो खाते हो।"
देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ने के साथ ही समृद्ध वर्ग बढ़ रहा है, जिसके कारण घरेलू नौकरों की मांग में वृद्धि हुई है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारत में लगभग पांच करोड़ घरेलू नौकर हैं, जिनमें से अधिकतर महिलाएं हैं और कानूनी सुरक्षा उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका शोषण होता है।
राष्ट्रीय घरेलू कामगार नीति का इस वर्ष नवीनीकरण कर इसमें निश्चित न्यूनतम वेतन तथा सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी गई है। यह नीति 2011 से सरकार की मंजूरी के लिए लंबित है।
पिछले सप्ताह से म्हात्रे के कॉमेडी क्लब के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें से एक मे वह बताती है कि बड़े-बड़े मॉल में आंख मूंदकर उत्पाद खरीदने वाली समृद्ध महिलाएं कुछ रुपयों के लिए कैसे मोलभाव करती हैं।
अपने कार्यक्रम में वह कहती है, "समाधान एक स्टिकर है। लोगों को इंसानों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है, लेकिन वे स्टिकर पर छपे मूल्य का बहुत सम्मान करते हैं।"
म्हात्रे इस सप्ताह भारतीय टेलीविजन के एक शो में नजर आने वाली है और कार्यकर्ताओं को आशा है कि उसकी प्रस्तुति से घरेलू कामगारों के लिए कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।
नेशनल डोमेस्टिक वर्कर्स मूवमेंट की राष्ट्रीय समन्वयक क्रिस्टिन मेरी ने कहा, "मालिकों के लिए यह स्पष्ट संदेश होगा कि वे घरेलू कामगारों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें।"
म्हात्रे अब घरेलू नौकरानी के तौर पर काम नहीं करती है। वह अब अपने तीन बच्चों और पति की सहायता के लिए आभूषण बेचती है। उसका पति अत्यधिक बीमार है, इसलिए काम नहीं कर पाता है। लेकिन वह अब भी स्वयं का परिचय नौकरानी के रूप में करवाती है।
उसने कहा, "मैं लोकप्रिय हो गयी हूं, लेकिन मैं कॉमेडी से पैसा नहीं कमाती। जीवन में मुश्किलें हैं, लेकिन लोग अब मेरे बारे में बात कर रहे हैं। मेरा संदेश हर जगह पहुंच रहा है।"
(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्तव, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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